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मौर्य काल में बिहार का गौरवपूर्ण इतिहास | चंद्रगुप्त मौर्य, बिंदुसार और सम्राट अशोक का स्वर्णिम इतिहास| Mauryan Empire: The Golden Era of Chandragupta Maurya, Bindusara, and Emperor Ashoka

मौर्य साम्राज्य प्राचीन भारत का पहला भौगोलिक रूप से विस्तृत, शक्तिशाली और राजनीतिक-सैन्य साम्राज्य था। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) में स्थित थी। चंद्रगुप्त मौर्य, बिंदुसार और अशोक जैसे महान शासकों ने इसे शासित किया।


चंद्रगुप्त मौर्य (321-298 ईसा पूर्व)

  • मौर्य वंश की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने आचार्य चाणक्य (कौटिल्य) की सहायता से 321 ईसा पूर्व में नंद वंश के अंतिम शासक घनानंद को हराकर की।
  • मूल पहचान:
    • मत्स्य पुराण और मुद्राराक्षस के अनुसार, चंद्रगुप्त की माता मुरा, नंद वंश के दरबार की एक शूद्र महिला थीं।
    • बौद्ध ग्रंथों में चंद्रगुप्त को मौर्य क्षत्रिय वंश का बताया गया है।
  • युद्ध और कूटनीति:
    • 305 ईसा पूर्व में उन्होंने अलेक्जेंडर के जनरल सेल्यूकस निकेटर से युद्ध किया।
    • इस संधि के बाद सेल्यूकस ने मेगस्थनीज को पाटलिपुत्र के दरबार में राजदूत बनाकर भेजा।
    • मेगस्थनीज की पुस्तक इंडिका में पाटलिपुत्र और मौर्य प्रशासन का विस्तृत वर्णन मिलता है।
    • मौर्य सेना में 6 लाख पैदल सैनिक, 30,000 घुड़सवार और 9,000 हाथी थे।
  • धार्मिक आस्था:
    • अपने जीवन के अंतिम समय में चंद्रगुप्त ने जैन धर्म अपना लिया और श्रवणबेलगोला में जैन साधुओं के साथ आत्म-त्याग कर प्राण त्याग दिए।

बिंदुसार (298-273 ईसा पूर्व)

  • चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र बिंदुसार ने साम्राज्य को वर्तमान भारत के अधिकांश हिस्सों में फैलाया, जिसमें उत्तर में हिमालय और पश्चिम में अफगानिस्तान तक का क्षेत्र शामिल था।
  • उन्हें यूनानी लेखक अमित्रोचेट्स या अमित्रघात के नाम से पुकारते थे।
  • विदेशी संबंध:
    • यूनानी राजा एंटिओकस ने अपने राजदूत डिमाकस को बिंदुसार के दरबार में भेजा।
    • मिस्र के टॉलेमी द्वितीय ने डियोनिसियस को उनके दरबार में भेजा।
  • धार्मिक जुड़ाव:
    • बिंदुसार ने आजीविका संप्रदाय का समर्थन किया और अपने पुत्र अशोक को उज्जैन का राज्यपाल नियुक्त किया।

सम्राट अशोक (273-232 ईसा पूर्व)

  • अशोक ने अपने पिता बिंदुसार के बाद शासन संभाला।
  • कलिंग युद्ध और धर्म परिवर्तन:
    • 261 ईसा पूर्व में अशोक ने कलिंग पर विजय प्राप्त की, लेकिन इस युद्ध की विभीषिका ने उन्हें बौद्ध धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया।
    • बौद्ध भिक्षु उपगुप्त के प्रभाव में उन्होंने धम्म का प्रचार शुरू किया।
  • बौद्ध धर्म का प्रसार:
    • 250 ईसा पूर्व में तीसरी बौद्ध संगीति का आयोजन पाटलिपुत्र में किया।
    • अशोक ने बौद्ध धर्म को श्रीलंका, दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप तक फैलाया।
  • निर्माण कार्य:
    • 84,000 स्तूपों और कई शिलालेखों का निर्माण कराया।
    • बिहार में अशोक के तीन प्रमुख स्तंभ हैं:
      • लौरिया नंदनगढ़
      • लौरिया अरेराज
      • रामपुरवा
  • उपाधियां:
    • अशोक को देवानामप्रिय और प्रियदर्शी कहा जाता था।

मौर्य प्रशासन और अर्थव्यवस्था

  • प्रशासनिक संरचना:
    • साम्राज्य को चार प्रांतों में विभाजित किया गया, जिनका संचालन राज्यपाल करते थे।
    • चाणक्य द्वारा प्रतिपादित सप्तांग सिद्धांत में शासन के सात तत्वों को शामिल किया गया:
      1. स्वामी (राजा)
      2. अमात्य (मंत्री)
      3. जनपद (प्रजा)
      4. दुर्ग (किला)
      5. कोष (खजाना)
      6. बल (सेना)
      7. मित्र (मित्र राज्य)
  • अदालतें:
    • धर्मस्थीय (न्यायालय) और कण्टकशोधन (अपराध न्यायालय)।
    • भूमि माप और सीमाओं को तय करने के लिए राजुक अधिकारी नियुक्त थे।
  • आर्थिक प्रबंधन:
    • 27 अध्यक्ष (सुपरिंटेंडेंट) अर्थव्यवस्था का संचालन करते थे।
    • मुद्रा में चांदी के पण, तांबे के माशक और सोने के निष्क का उपयोग होता था।
  • व्यापार मार्ग:
    • आंतरिक मार्ग: तक्षशिला से पाटलिपुत्र और श्रावस्ती से राजगीर।
    • समुद्री मार्ग: पूर्व में तमलुक और पश्चिम में भड़ौच व सोपारा।

मौर्य कालीन कला और वास्तुकला

  • स्तंभ:
    • अशोक के स्तंभ, जैसे सारनाथ और दिल्ली के स्तंभ, मौर्य कला की उत्कृष्टता दर्शाते हैं।
  • गुफाएं:
    • बोधगया के पास बाराबर और नागार्जुनी पहाड़ियों में गुफाएं अजैविकों को समर्पित थीं।
    • इन गुफाओं की दीवारें इतनी चमकदार थीं कि दर्पण जैसी दिखती थीं।
  • मूर्तियां:
    • दीदारगंज (बिहार) में यक्ष और यक्षिणी की मूर्तियां मौर्य कला का उदाहरण हैं।
  • महल:
    • पाटलिपुत्र में कुम्हरार से प्राप्त स्तंभयुक्त राजमहल मौर्य वास्तुकला की भव्यता को दर्शाता है।

मौर्य साम्राज्य का पतन

  • अशोक की मृत्यु के बाद साम्राज्य पश्चिमी (कुणाल) और पूर्वी (दशरथ) भागों में बंट गया।
  • पश्चिमी भाग ग्रीक आक्रमण के कारण समाप्त हो गया, जबकि पूर्वी भाग सम्राट सम्प्रति के अधीन रहा।
  • अंतिम शासक बृहद्रथ की हत्या पुष्यमित्र शुंग ने की।

यह लेख मौर्य काल के गौरव को दर्शाते हुए बिहार की प्राचीन विरासत का अद्वितीय वर्णन करता है। आशा है, यह विद्यार्थियों के लिए उपयोगी और ज्ञानवर्धक साबित होगा।

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