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सविनय अवज्ञा आंदोलन में बिहार का योगदान: स्वराज की दिशा में एक निर्णायक कदम (Civil Disobedience Movement)

सविनय अवज्ञा आंदोलन में बिहार का योगदान: स्वराज की दिशा में एक निर्णायक कदम (Civil Disobedience Movement)

सविनय अवज्ञा आंदोलन में बिहार का योगदान: स्वराज की दिशा में एक निर्णायक कदम (Civil Disobedience Movement)

1920 के असहयोग आंदोलन के बाद महात्मा गांधी ने 1930 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) की शुरुआत की, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक बड़ा कदम था। बिहार, जो उस समय स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख केंद्र बन चुका था, ने इस आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। बिहार के नेताओं, किसानों, और आम जनता ने ब्रिटिश कानूनों के उल्लंघन के माध्यम से विरोध जताया और स्वराज की दिशा में आंदोलन को और तेज़ किया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन: परिचय और उद्देश्य

सविनय अवज्ञा आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के अन्यायपूर्ण कानूनों का शांतिपूर्ण ढंग से उल्लंघन करना था। इसका प्रारंभ महात्मा गांधी द्वारा 1930 में नमक सत्याग्रह के रूप में हुआ, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश सरकार के नमक कानून का विरोध किया। इस आंदोलन के माध्यम से भारतीयों ने अन्यायपूर्ण करों और कानूनों का पालन न करने का संकल्प लिया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन कब हुआ

सविनय अवज्ञा आंदोलन 12 मार्च 1930 को शुरू हुआ था। महात्मा गांधी ने इस आंदोलन की शुरुआत दांडी यात्रा से की थी, जो 6 अप्रैल 1930 को समाप्त हुई। यह आंदोलन 1930 से लेकर 1934 तक चला और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जन असहयोग का महत्वपूर्ण चरण था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रमुख उद्देश्य

उद्देश्यविवरण
ब्रिटिश कानूनों का विरोधब्रिटिश शासन के अनुचित कानूनों का शांतिपूर्ण तरीके से विरोध।
स्वदेशी वस्त्रों का प्रचारविदेशी वस्त्रों का बहिष्कार और स्वदेशी उत्पादों को अपनाना।
नमक कानून का उल्लंघननमक पर कर लगाने के ब्रिटिश कानून का उल्लंघन।
जन आंदोलन में सहभागिताआम जनता को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संगठित करना।
ब्रिटिश करों का बहिष्कारनमक कर, राजस्व कर, और अन्य करों का विरोध।
स्वराज की मांगपूर्ण स्वराज की मांग को और मजबूत करना।

बिहार में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत

सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत बिहार में नमक सत्याग्रह और कर न देने का आंदोलन प्रमुख रूप से सामने आए। 1930 में, बिहार के चंपारण और शाहाबाद जैसे जिलों में नमक सत्याग्रह के तहत नमक का उत्पादन किया गया और ब्रिटिश नमक कर का उल्लंघन किया गया। इसके साथ ही किसानों ने भूमि कर और अन्य ब्रिटिश करों का बहिष्कार किया।

बिहार में प्रमुख घटनाएं:

घटनास्थानवर्ष
नमक सत्याग्रहचंपारण1930
कर न देने का आंदोलनशाहाबाद1930-1931
वन कानून का उल्लंघनसंथाल परगना1931

बिहार के प्रमुख नेता और उनका योगदान

सविनय अवज्ञा आंदोलन में बिहार के नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महात्मा गांधी के सिद्धांतों से प्रेरित होकर, बिहार के नेताओं ने इस आंदोलन को संगठित किया और जनसमर्थन जुटाया।

नेता का नामयोगदान
डॉ. राजेंद्र प्रसादनमक सत्याग्रह और कर न देने के आंदोलन का नेतृत्व किया।
अनुग्रह नारायण सिन्हाकिसानों को कर न देने के आंदोलन में संगठित किया।
मौलाना मजहरुल हकपटना और अन्य स्थानों पर जनसभाएं आयोजित कर लोगों को जागरूक किया।

बिहार के किसानों का योगदान

बिहार के किसानों ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने भूमि कर और अन्य करों का भुगतान करने से इनकार किया और ब्रिटिश सरकार के दमन का सामना किया। चंपारण के किसान, जो पहले से ही ब्रिटिश शोषण के शिकार थे, इस आंदोलन में बड़ी संख्या में शामिल हुए।

किसानों का योगदान:

क्षेत्रयोगदान
चंपारणनमक सत्याग्रह और कर बहिष्कार में भाग लिया।
शाहाबादभूमि कर का बहिष्कार किया।
संथाल परगनावन कानूनों का उल्लंघन किया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन का बिहार पर प्रभाव

सविनय अवज्ञा आंदोलन ने बिहार की जनता में राजनीतिक जागरूकता और स्वतंत्रता की भावना को और मजबूत किया। इस आंदोलन ने न केवल ब्रिटिश सरकार के दमनकारी कानूनों का विरोध किया, बल्कि स्वराज की दिशा में एक मजबूत कदम भी था। बिहार में इस आंदोलन ने जनता को एकजुट किया और राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भागीदारी को और सशक्त किया।

बिहार पर प्रमुख प्रभाव:

प्रभावविवरण
राजनीतिक चेतनाजनता में ब्रिटिश कानूनों के खिलाफ जागरूकता बढ़ी।
आर्थिक प्रभावकिसानों ने भूमि कर और अन्य करों का बहिष्कार किया।
राष्ट्रीय एकजुटताजनता ने गांधी के नेतृत्व में संगठित होकर आंदोलन किया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के राष्ट्रीय प्रभाव

सविनय अवज्ञा आंदोलन का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की जड़ें हिला दीं और भारतीय जनमानस को स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। आंदोलन की सफलता निम्नलिखित प्रभावों के रूप में देखी गई:

प्रभावविवरण
जन जागरूकताआंदोलन ने पूरे देश में स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता बढ़ाई।
विदेशी वस्त्रों का बहिष्कारविदेशी वस्त्रों का व्यापक रूप से बहिष्कार हुआ।
महिलाओं की भागीदारीमहिलाओं ने भी बड़ी संख्या में आंदोलन में भाग लिया।
अंग्रेजों पर दबावआंदोलन के चलते ब्रिटिश सरकार को गोलमेज सम्मेलनों में चर्चा करनी पड़ी।

सविनय अवज्ञा आंदोलन में युवाओं की भूमिका

बिहार के युवा, विशेष रूप से छात्र, इस आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभा रहे थे। पटना विश्वविद्यालय और अन्य शैक्षिक संस्थानों के छात्रों ने इस आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। उन्होंने न केवल ब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार किया, बल्कि स्वदेशी वस्त्रों का समर्थन करने के लिए अभियान भी चलाए।

समूहयोगदान
छात्रब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार और जनसभाओं का आयोजन किया।
महिला संगठननमक सत्याग्रह और कर बहिष्कार में भाग लिया।
किसानभूमि कर का बहिष्कार किया और आंदोलन में सक्रिय रहे।

सविनय अवज्ञा आंदोलन का राष्ट्रीय महत्व

बिहार में सविनय अवज्ञा आंदोलन ने राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस आंदोलन ने गांधी जी के नेतृत्व में स्वराज की मांग को और मजबूत किया। बिहार की जनता ने न केवल ब्रिटिश सरकार का विरोध किया, बल्कि स्वदेशी आंदोलन को भी बल दिया।

आंदोलन का समापन

सविनय अवज्ञा आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को इस हद तक दबाव में ला दिया कि उन्हें गोलमेज सम्मेलनों के माध्यम से भारतीय नेताओं से बातचीत करनी पड़ी। यद्यपि आंदोलन को तुरंत सफलता नहीं मिली, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और 1947 में भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया।


सविनय अवज्ञा आंदोलन महत्वपूर्ण प्रश्न -उत्तर

प्रश्नउत्तर
सविनय अवज्ञा आंदोलन किसके नेतृत्व में किया गया?गांधीजी के नेतृत्व में।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किसकी रूपरेखा तैयार की?नमक सत्याग्रह की।
बिहार में नमक सत्याग्रह की तिथि कब निर्धारित की गई?6 अप्रैल 1930 को।
नमक सत्याग्रह की सफलता के लिए पंडित नेहरू ने बिहार का दौरा कब किया?31 मार्च से 3 अप्रैल 1930 तक।
नमक सत्याग्रह की शुरुआत कहाँ से हुई?चंपारण और सारण जिलों से।
पटना में नमक सत्याग्रह का उद्घाटन कब हुआ?16 अप्रैल 1930 को।
नमक सत्याग्रह के दौरान बिहार में क्या-क्या कार्यक्रम किए गए?खादी पर जोर, मादक पेयों के खिलाफ, चौकीदारी कर न देने की अपील।
पटना में स्वदेशी समिति की स्थापना किसने की?अली इमाम ने।
सविनय अवज्ञा आंदोलन में बिहार के प्रमुख नेता कौन थे?सच्चिदानंद सिन्हा, हसन इमाम और सर अली इमाम।
बिहपुर सत्याग्रह के दौरान कौन-कौन सी प्रमुख घटनाएँ हुईं?राय बहादुर द्वारकानाथ ने बिहार विधान परिषद से इस्तीफा दिया, छपरा जेल के कैदियों ने हड़ताल की।
चौकीदारी कर न देने की प्रतिक्रिया कितनी प्रभावशाली थी?बहुत प्रभावशाली, चंद्रावती देवी और रामसुंदर सिंह ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
सविनय अवज्ञा आंदोलन के महत्वपूर्ण जिले कौन से थे?चंपारण, भोजपुर, पुरीया, सारण और मुजफ्फरपुर।
1940 में 53वीं कांग्रेस सत्र कहाँ आयोजित हुआ?रामगढ़ (वर्तमान झारखंड) में।
गांधीजी ने किस आंदोलन की शुरुआत की जिसमें केवल चुने हुए व्यक्ति सत्याग्रह करेंगे?व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा आंदोलन।
बिहार से पहला व्यक्तिगत सत्याग्रही कौन था?श्री कृष्ण सिंह।
श्री कृष्ण सिंह के बाद कौन-कौन व्यक्तिगत सत्याग्रही बने?अनुग्रह नारायण सिन्हा, गौरी शंकर सिंह (गया से) और श्याम नारायण सिंह (सिलाओ से)।
प्रश्नउत्तर
सविनय अवज्ञा आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?ब्रिटिश सरकार के नियमों और कानूनों का पालन न करने के लिए लोगों को प्रेरित करना।
गांधीजी ने व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा आंदोलन क्यों शुरू किया?यह आंदोलन अधिक प्रभावशाली साबित हुआ और उसमें कुछ विशेष व्यक्तियों द्वारा सत्याग्रह किया गया।
नमक सत्याग्रह के दौरान महिलाओं की क्या भूमिका थी?महिलाओं ने बड़े पैमाने पर भाग लिया और आंदोलन को मजबूत किया।

बिहार में असहयोग आंदोलन और उसका प्रभाव (Non Cooperation Movement in hindi)

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