बिहार की जलवायु महाद्वीपीय मानसून प्रकार की है, जिसमें चार प्रमुख मौसम होते हैं। बिहार की जलवायु पर हिमालय की नजदीकी, समुद्र से दूरी, और वायुमंडलीय संचलन का गहरा प्रभाव पड़ता है। यहाँ के मृदा वितरण पर भी जलवायु, मात्रीक सामग्री और स्थलाकृतिक प्रभाव दिखाई देता है।
बिहार उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है, जो 23½° से 40° उत्तर और दक्षिण अक्षांश के बीच फैला हुआ है। यहाँ की जलवायु महाद्वीपीय मानसून और आर्द्र उष्णकटिबंधीय प्रकार की है।
जलवायु पर प्रभाव डालने वाले प्रमुख भौगोलिक कारक:
कर्क रेखा के नजदीक होना | बिहार कर्क रेखा के उत्तर में स्थित है, जिससे यहाँ का मौसम गर्म रहता है। |
हिमालय की नजदीकी | बिहार का उत्तरी भाग हिमालय के नजदीक होने के कारण ठंडा रहता है। |
गंगा डेल्टा और असम की नजदीकी | यहाँ से नोर्वेस्टर नामक तूफान आते हैं जो प्री-मॉनसून अवधि में बारिश लाते हैं। |
पूर्व और पश्चिम की जलवायु भिन्नताएँ | पूर्वी बिहार समुद्र के नजदीक होने के कारण आर्द्र जलवायु का अनुभव करता है, जबकि पश्चिमी बिहार महाद्वीपीय प्रभाव के कारण सूखा रहता है। पूर्वी बिहार में औसतन 200 सेमी वर्षा होती है, जबकि पश्चिमी बिहार में 100 सेमी के आसपास होती है। |
मॉनसून की स्थिति | राजस्थान और आस-पास के क्षेत्रों में विकसित होने वाला निम्न दबाव बेल बिहार और ओडिशा के माध्यम से बंगाल की खाड़ी तक पहुँचता है, जिससे मानसून की बारिश होती है। उत्तर बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का भी मौसम पर बड़ा असर होता है। |
संशोधित मानसून जलवायु | बारिश के मौसम के बाद, हवा में नमी बनी रहती है, जिससे यहाँ का मौसम ‘संशोधित मानसून जलवायु’ कहलाता है। |
क्लाइमेट की श्रेणियाँ | कोपेन के अनुसार, बिहार की जलवायु मानसून प्रकार की होती है जिसमें सूखी सर्दियाँ (Cwg) होती हैं, जबकि ट्रेवर्था और थॉर्नथ्वेट के अनुसार यह उप-उष्णकटिबंधीय आर्द्र प्रकार की है। |
बिहार में मौसम के चार प्रमुख प्रकार
- गर्म मौसम (मार्च से मई):
- आरंभ: गर्मियों का मौसम मार्च से शुरू होता है और मई तक रहता है। इस अवधि में तापमान लगातार बढ़ता जाता है और दबाव घटता है। अप्रैल में आर्द्रता सबसे कम होती है।
- तापमान: इस मौसम में औसतन तापमान पूर्वी और उत्तर-पूर्वी बिहार में 29°C से लेकर पश्चिमी बिहार में 32°C तक होता है। पश्चिमी हवाएँ उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों से आती हैं।
- बारिश: नोर्वेस्टर की बारिश पूर्वी बिहार में तापमान कम करती है। नोर्वेस्टर बिहार से उत्पन्न होकर पूर्व की ओर बढ़ता है।
- विशेषताएँ: नोर्वेस्टर हल्की बारिश, बिजली, गरज और ओलावृष्टि लाता है, जो जूट, धान और कई फलों जैसे आम और लीची के लिए लाभकारी होती है। इसे ‘मंगल शावर’ या ‘काल वैशाखी’ भी कहते हैं।
- गर्मियाँ: मई में गया सबसे गर्म जिला होता है, जहाँ तापमान 45°C तक पहुँच सकता है। मई बिहार का सबसे गर्म महीना है। जून में दिन लंबे होते हैं, और 21 जून को उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन होता है।
- लू की हवाएँ: ‘लू’ की हवाएँ इस मौसम में चलती हैं, जिनकी गति औसतन 8-16 किमी प्रति घंटा होती है। ये हवाएँ विशेष रूप से गया, जहानाबाद, औरंगाबाद, नवादा, नालंदा और सारण जिलों में असर डालती हैं।
- ओलावृष्टि: इस मौसम में, हवा का ऊँचाई तक पहुँचकर ठंडा हो जाने से ओलावृष्टि होती है।
- वर्षा: पश्चिमी बिहार में औसतन 127 मिमी और पूर्वी बिहार में 254 मिमी वर्षा होती है। गर्मियों की बारिश जूट और भादई फसलों के लिए महत्वपूर्ण होती है।
- वर्षा में भिन्नता: दक्षिण बिहार में वर्षा उत्तर बिहार की तुलना में कम होती है।
- दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून से सितंबर):
- आरंभ: मानसून जून में शुरू होता है और सितंबर तक रहता है। इन बारिश लाने वाली हवाओं की शुरुआत पूर्वी बिहार में 7 जून और पश्चिमी बिहार में 15 जून के आसपास होती है।
- वातावरण: मैदान क्षेत्र में निम्न दबाव केंद्र बनता है जबकि उत्तर बंगाल की खाड़ी में उच्च दबाव केंद्र बनता है। इस दबाव अंतर के कारण बारिश लाने वाली हवाएँ भारतीय मैदान की ओर बहती हैं।
- बारिश की तीव्रता: मानसून की शुरुआत के साथ ही अचानक तेज चक्रवातों के साथ बिजली, गरज और भारी बारिश होती है।
- वर्षा की मात्रा: पूर्वी बिहार और उत्तर बिहार में भारी वर्षा होती है, जैसे किशनगंज में 180 सेमी, अररिया में 160.1 सेमी, फोर्बेसगंज में 153.5 सेमी, सुपौल में 139.8 सेमी, और मधुबनी में 131.9 सेमी। वर्षा पश्चिमी बिहार में कम होती है।
- वर्षा का वितरण: जुलाई और अगस्त में वर्षा अधिक होती है, जबकि सितंबर में कमी होती है। उत्तर-पूर्वी बिहार में लगभग 190 सेमी और पश्चिमी बिहार में केवल 100 सेमी वर्षा होती है।
- वापस आती मानसून (अक्टूबर से नवंबर):
- आरंभ: अक्टूबर के पहले सप्ताह में दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी शुरू होती है। यह मौसम गर्मियों से सर्दियों की ओर परिवर्तन का समय होता है, जिसे शरद ऋतु भी कहते हैं।
- वातावरण: इस महीने में मौसमी निम्न दबाव गायब हो जाता है और उत्तर-पश्चिमी हवाएँ plains पर बहने लगती हैं। यह हवाएँ उत्तर-पश्चिम भारत से उत्तरी बंगाल की खाड़ी में विकसित निम्न दबाव की ओर बहती हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात: इस मौसम में उष्णकटिबंधीय चक्रवात अधिक होते हैं, जो बंगाल की खाड़ी में लगभग 12° उत्तर अक्षांश पर उत्पन्न होते हैं। ये चक्रवात धान की फसल के लिए लाभकारी होते हैं।
- वर्षा: कभी-कभी इस मौसम में लगातार बारिश से बाढ़ आती है। अक्टूबर में सामान्यतः 2.5 से 10 सेमी वर्षा होती है, और नवंबर लगभग शुष्क रहता है।
- सर्दियों का मौसम (दिसंबर से फरवरी):
- तापमान: इस मौसम में औसतन तापमान 16°C रहता है। जनवरी सबसे ठंडा महीना होता है, जब तापमान 4°C तक गिर सकता है। दिसंबर में भी न्यूनतम तापमान रिकॉर्ड किया जाता है।
- गया: गया सर्दियों में सबसे ठंडा जिला है। दिसंबर 2014 में, यहाँ का न्यूनतम तापमान 2.7°C था।
- ठंडी हवाएँ: सर्दियों के दौरान पश्चिमी अवरोधन और हिमालय की ठंडी हवाएँ बिहार में ठंडी हवाओं का अनुभव कराती हैं। पश्चिमी अवरोधन द्वारा उत्पन्न होने वाली चक्रवातों से 10 से 20 मिमी वर्षा होती है, जो रबी फसलों के लिए लाभकारी होती है।
- फ्रॉस्टिंग: उत्तर-पश्चिम बिहार में शिवालिक क्षेत्र के आस-पास फ्रॉस्टिंग की संभावना रहती है, जो आलू की फसल को प्रभावित कर सकती है।
यह लेख बिहार की जलवायु के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करेगा और आपको इस क्षेत्र की मौसम संबंधी विविधताओं की स्पष्ट जानकारी प्रदान करेगा।
बिहार में वर्षा का वितरण
क्षेत्र | औसत वार्षिक वर्षा (सेमी) |
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पश्चिम-मध्य क्षेत्र | 100 से 120 सेमी |
उत्तर-पर्वतीय क्षेत्र | 200 से 250 सेमी |
किशनगंज | 200 सेमी से अधिक |
पश्चिमी बिहार | 100 सेमी तक |
औसत वार्षिक वर्षा: 120 सेमी, जिसमें से 85-90% वर्षा जून से अक्टूबर के बीच होती है।
बिहार का मौसम महाद्वीपीय मानसून प्रकार का है और इसमें चार अलग-अलग मौसम होते हैं जो फसलों की खेती, जीवनशैली और पर्यावरण को प्रभावित करते हैं। गर्म मौसम से लेकर ठंडे मौसम तक, प्रत्येक मौसम की अपनी विशेषताएँ और प्रभाव होते हैं। यह जानकारी आपको बिहार के मौसम को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेगी।